New ilzaam Shayari in Hindi | ilzaam Shayari 2 Line

New ilzaam Shayari in Hindi | ilzaam Shayari 2 Line

 ilzaam Shayari - वेलकम  दोस्तों आप सभी लोगो का मैं बहुत ही आभारी हु आप लोगो को दिल से थैंक्स, आज जो हम शायरी आपके लिए लेकर आये है वो है इलज़ाम शायरी दोस्तों अगर कोई आप पर कोई आप पर बेफ़िज़ू का इल्ज़ाम लगा दे और आप कुछ कर न पाए तो कितना बुरा लगता है आपको पता है ये इल्ज़ाम गलता है बेफ़िज़ू है और आप उस वक़्त कुछ नहीं कर पते है तो बहुत ही बुरा लगता है ऐसे में हम आपके लिए लेकर आये है इलज़ाम शायरी जिसे भेज कर आप उसे बता सकते है पर लगा इलज़ाम  गलत है 

ilzaam Shayari


इल्ज़ाम ये था कि झुठा हूँ,मैं 
‘सज़ा’ ये है कि उनसे रिहा हूँ,मैं

ilzaam Shayari


हँस कर कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने
ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर इलज़ाम मुझ पर मढ़ने का


ilzaam Shayari


कुछ ख़्वाब थे जो हकीकत में टूटे हैं
  इल्ज़ाम किसे दें अ 'जी' हम ही


ilzaam Shayari


सबको फिक्र है अपने आप को सही साबित करने की
जैसे जिन्दगी नहीं कोई “इल्ज़ाम” है



कोई इल्जाम रह गया हो तो वो भी दे दो
पहले भी हम बुरे थे, अब थोड़े और सही



ilzaam Shayari



इल्ज़ाम तो हर हाल में काँटों पे ही लगेगा,
ये सोचकर अक्सर फूल भी चुपचाप ज़ख्म दे जाते है 



हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी?
ये तो हम हैं सर इलज़ाम लिये फिरते हैं।

ilzaam Shayari


सबको फिक्र है अपने आप को सही साबित करने की
जैसे जिन्दगी नहीं कोई इल्जाम है







वफ़ा मैंने नहीं छोड़ी मुझे इलज़ाम मत देना
मेरा सबूत मेरे अश्क हैं मेरा गवाह मेरा दर्द है


मेरी नजरों की तरफ देख जमानें पर न जा
इश्क मासूम है इल्जाम लगाने पर न जा




मेरी तबाही का इल्ज़ाम अब शराब पर हैं
मैं और करता भी क्या #तुम पे आ रही थी बात


उदास जिन्दगी, उदास वक्त उदास मौसम.. 
कितनी चीजो पे “इल्ज़ाम” लगा है तेरे ना होने से




ये मिलावट का दौर हैं साहब” यहाँ
इल्जाम लगायें जाते हैं तारिफों के लिबास में


तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी




बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने।
कि इलज़ाम झूठे ही सही पर लगाये तो तुमने हैं।


तुम मेरे लिए कोई “इल्ज़ाम” न ढूँढ़ो
चाहा था तुम्हे, यही “इल्ज़ाम” बहुत है


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